यह घटना अभी कुछ दिन पहले की ही है। जब मैं दिल्ली से लखनऊ एक एग्जाम देने गया था। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक अधेड़ उम्र की आंटी अंकल अपना काफी सामान लेकर बैठे थे। ट्रे
न प्लेटफार्म पर आई तो मेरा डिब्बा जो कि स्लीपर में S5 था, वो वहीं लगा जहां मैं खड़ा था। मेरे पास अपने कैजुअल बैग के सिवा कोई सामान नहीं था। मुझे लगा कि अंकल आंटी की मदद करनी चाहिए। तो मैं उनके पास गया और मदद के लिए बोला।
तो उन्होंने बताया कि आंटी को जौनपुर जाना है । मैंने उनसे आंटी जी का सीट नं पूछा तो उन्होंने बताया की S5 में 24 नं विंडो साइड अपर है। किस्मत से मेरा 23 नं विंडो साइड लोअर था। समान हमें अंदर पहुंचा दिया।
जब अंकल जानें लगे तो उन्होंने आंटी से कहा कोई दिक्कत हो तो इनसे, यानी मुझसे हेल्प ले लेना। और अंकल चले गए।
अब मैं अपने बारे में बता दूं। मैं एवरेज बॉडी वाला नौजवान हूं। डेली एक्सरसाइज करता हूं और मेरे लिंग का साइज खड़ा होने पर 20 cm तक है।
अब आंटी जी के बारे में आंटी ने साड़ी पहन रखी थी। बाल लंबे चोटी वाले, माथे पर बिंदी,आंखों में काजल। ओठ भरे भरे मैरून लाल लिपस्टिक, चेहरा थोड़ा लम्बा। पीठ की तरफ खुला ब्लाउज, बड़े भरे बूब्स, चौड़ी कमर, मोटी भारी पिछवाड़ा, लंबी टांगे,पैरों में पायल पहने हुई थीं।
मैने चूत के बारे में नहीं लिखा वो कहानी के अंदर पढ़ेंगे।
आइए कहानी पर आते हैं। ट्रेन के दिल्ली से चलने का टाइम रात के 9:15 का था। तो ट्रेन अपने टाइम से चल पढ़ी। पहले मैं और आंटी नीचे विंडो वाली सीट पर बैठे थे। तो शुरुवात में मैंने उनसे उनके, अंकल के काम, बच्चों और परिवार के बारे में पूछा। उन्होंने भी मुझसे मेरे बारे में पूछा।
जिस तरफ आंटी जी बैठी थीं उस तरफ सामने से लाइट आ रही थी। मुझे लगा की वो अनकंफर्टेबल फील कर रही हैं। तो मैंने उनसे मेरे तरफ आने को कहा और मैं उनकी तरफ जाना चाहता था। इसके लिए वो नीचे उतरना चाहती थीं।
तो मैने उनसे उपर से ही मेरी तरफ आने को कहा तो आंटी मन गईं। जब वो मेरी तरफ आ रहीं थीं तो मैं उनकी तरफ जा रहा था। बीच में उनकी पीठ मेरी तरफ थी और मैं उनके पीछे था। तो मैंने उन्हें हाथों के सहारे दूसरे तरफ बैठने को सहारा दिया।
तभी मेरा हाथ उनकी कमर पर चला गया। मैं उनकी कमर को टाइट पकड़ा था। आस पास के लोग सदी के वजह से देख नहीं सकते थे।आंटी ने कुछ नहीं बोला।
फिर हमनें खाना खाया तो मैने एक निवाला अपने हाथ से आंटी की तरफ बढ़ाया। तो आंटी ने मना नहीं किया। अभी 10:35 हो रहे थे। आस पास की लाइटें बंद कर दी गई।आंटी अपने बर्थ पर चलीं गई और मैं अपने बर्थ पर।
कुछ देर बाद आंटी नीचे आईं तो मैने उनसे पूछा कि क्या आपको नीद नहीं आ रही। उन्होंने कहा पता नहीं क्यों नीद नहीं आ रही। मुझे भी नीद नहीं आ रही थी तो मैंने उनसे कहा ludo खेलें क्या? आंटी जी मन गईं।
मैंने कहा नीचे खेलेंगे तो लाइट से आस पास के लोग डिस्टर्ब होंगे आइए उपर खेलते हैं। फिर ludo का खेल शुरू हुआ। कुछ देर खेलने के बाद बैठे बैठे मेरे पैर अकड़ने लगे। तो मैने अपने दोनो पैर फैला दिया। मेरे साथ आंटी ने भी अपने पैर खोल दिए।
अब मेरे पैर आंटी के साड़ी के ऊपर से उनकी जांघों को छू रहे थे। उन्होंने कुछ नहीं बोला। तो मेरी वासना बड़ गई। अब धीरे धीरे मैंने अपने पैरों से उनकी जांघों को सहलाने लगा। अचानक आंटी को न जानें क्या हुआ, उन्होंने मेरे हाथों को पकड़ लिया।
मैने भी तुरंत मोबाइल बंद करके तेजी से आंटी को अपनी तरफ खींच लिया। और अपने से चिपका लिया।उनके कान के पास अपनी गरम सांसें छोड़ते हुए मैने उनसे कहा, “अगर आप चाहें तो हम मजे कर सकते है।”
उन्होंने कहा, “अगर आज पास के लोग जान गए तो?” मैंने उनसे कहा, “पहली बात की डिब्बे में पर्याप्त अंधेरा है। दूसरी बात सब गहरी नीद में सो रहे हैं।फिर हम अलग तरीके से आपको चोदेंगे।”
चोदना शब्द सुनकर वो मुझसे और तेज चिपक गई। और कान में बोला, “लेकिन एक शर्त है मेरी चूत का पानी पीना होगा।” मैने कहा, “अगर आप टॉयलेट में चलो तो मैं आपकी टट्टी भी चाटूंगा।”
इसके बाद तो आंटी उछल के सीधे में लंड पर आ गईं। मेरे मुंह से आह निकल गई।आंटी ने लिप किस करते हुए पूछा क्या हुआ मैंने बोला कुछ नहीं “आप अपने चूतड़ों को थोड़ा उठाईए।” आंटी ने मेरी कहना मान कर अपने चूतड़ों को ऊपर उठाया। तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाला।
वो टनटनाया हुआ था। तभी मैंने आंटी की साड़ी उनके गांड़ के पीछे करके उनकी पैंटी को किनारे केवल अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया। आंटी के पूरे मुंह को अपने मुंह में लेके उनकी जीभ को चुभलाने लगा।
और तभी अचानक आंटी की कमर को झटके से छोड़ दिया। मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में घुस गया। आंटी छटपटाने लगी। लेकिन मैंने न उन्हें किस करना छोड़ा और न ही मेरे लंड से उठने दिया। उनकी आंखों में आंसू आ गए।
धीरे धीरे मैंने अपने लंड को आराम से उनकी चूत में करने लगा । कुछ देर में जब आंटी को मज़ा आने लगा तो मैंने उनका मुंह और हाथ फ्री किया । अचानक आंटी ने मुझे एक चाटा मारा पूर्ण जाने क्या हुआ तुरंत हिमूझे पागलों की तरह चूमने लगी।
और मेरे लंड पर कूदने की रफ्तार बढ़ा दी।मैं झड़ने वाला था अबकी बार सनी मेरा मुंह अपने मुंह में लेकर चूसने लगीं। हम दोनो एक साथ झड़ गए। और एक दूसरे पर निढाल होकर गिर गए। हम एक दूसरे को काफी देर तक चूमते रहे।
जब हम अलग हुए तो मैने आंटी से कहा, “मुझे अपना वादा निभाना है, आपकी चूत चाटनी है।” आंटी ने कहा, “रुको मुझे पेसाब लगी है। अभी बाथरूम से आती हूं तब ये वाला करेंगे।”
मैंने कहा, “एक काम करो तुम बाथरूम की तरफ जाओ और मैं भी आता हूं। धीरे से दोनो एक बाथरूम में चले जायेंगे। लेकिन इस डिब्बे के अगले वाले डिब्बे के बाथरूम में।” आंटी ने कहा, “ठीक है। लेकिन जब तुम अंदर आना तो मैसेज करना ताकि मैं एक कोने में छुप जाऊं और तुम अंदर आ जाना।”
ठीक ऐसा ही हुआ। किसी को कुछ खबर नहीं लगी हम दोनों बाथरूम में पहुंच गए। तो मैंने अपनें वीर्य से सनी आंटी की चूत देखी तो उनसे पूछा कि, “आपको हगने का मन कर रहा है क्या?” उन्होंने कहा, “अभी तो नहीं। क्यों?” मैंने कहा “आप मेरे मुंह के ऊपर बैठिए।”
इससे पहले हमने एक दूसरे को नंगा कर लिया था। आंटी जैसे ही मेरे मुंह पर बैठी मैने पहले अपनी जीभ से उनकी चूत से अपना वीर्य लेकर उनकी गांड़ को चाटने लगा। उनकी चूत और गांड़ में उंगली भी डाल रखी थी।
आंटी पागल मदमस्त हो गई थी लेकिन मेरे लंड को उतना ही मुंह में भींच रहीं थी। अचानक आंटी हगने लगीं। कुछ देर में मुतने भी लगीं। मैंने चट चट की आवाज से उनके मूत और लेटरिन को खूब चाटा। फिर मैं एक बार और झड़ गया आंटी ने पूरा पानी पी लिया।
अपने को साफ करके हम लोगों से बचते हुए अपनी सीट पर आ गए। हमें एक दूसरे का नंबर एक्सचेंज किया। फिर काफी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे। फिर अपनी सीट पर जा के लेट गए।
लखनऊ आने पर हम उतर गए। आंटी से मैने फोन पर बात की तो पता चला वो भी अच्छे से घर पहुंच गईं।
अगली कहानी में आंटी को दिल्ली के किसी होटल में ले जाकर गांड़ मरवाने को तैयार किया।
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