हेल्लो दोस्तों, जिन लोगो ने मेरी इस कहानी का पहला पार्ट नहीं पढ़ा है, उनसे गुजारिश है की पहला पार्ट पढ़ कर सेकंड पार्ट को पढ़े. वर्ना कहानी समझ नहीं आयेगी. तो दोस्तों, फिर वहीँ से कहानी शुरू करता हूँ जहां पिछली कहानी ख़तम करी.
मेरी साली वैभवी अपने 38-29-42 के गोरे – गदराये बदन के साथ जो की गुलाबी ब्रा और नेवी ब्लू पेंटी के अन्दर कैद था सामने खड़ी थी. उसका पति नरेश उसी रूम में बेसुध पड़ा हुआ था. फिर मैं बेड से उठा और वैभवी को पीछे धकेल कर दिवार से सटा कर उसको चूमना शुरू किया.
पहले उसके सूजे हुए गुलाबी होठो से होता हुआ उसकी गर्दन तक आया. फिर बूब्स की दरार में जीभ फेरी और झटके से उसको पलटा दिया. अब मैं उसकी पीठ को चूमने लगा. वो भी मेरा भरपूर सहयोग कर रही थी. फिर उसने मुझे रोका और बेड पर बिठा दिया.
वैभवी – जीजू आपके मुसल लोड़े की मालिश बाकि है अभी.
उसके मुह से ऐसे अश्लील शब्द मात्र सुन कर मैं उत्तेजना के सातवें आसमान पर जा बैठा. उसने खूब सारा थूक अपनी हथेलियों पर मला और दोनों हथेलियों से मेरे लिंग को जड़ से लेकर सुपाडे तक फेरने लगी. मेरी उत्तेजना मैं शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता.
मेरी सारी नसें फटने को होने लगी. शरीर पसीने से भीग गया. लिंग की एक एक नस में जैसे चींटिया चल रही थी. उसने थोडा और थूक लिया और जोर से मेरे लिंग को मसलने लगी. मैं बेड पर बैठा मुखमैथुन के पुरे मजे ले रहा था. अब उसने मेरे लिंग को अपने मुह में डाल लिया.
मेरा लिंग सिर्फ आधा ही उसके मुह के अन्दर जा पा रहा था. उसके बाल पूरी तरह उसके कंधो और पीठ पर बिखर चुके थे. मैंने दोनों हाथो से उसके बालो को समेटा और एक हाथ से पोनीटेल जैसे पकड़ लिए.
अब वो घुटनों पर बैठ गयी और मैंने उसके बाल को पकड़ते हुए लिंग को थोडा ज्यादा उसके मुह में ठूस दिया. उसका गला चोक होने लगा और वो उलटी जैसी आवाज करने लगी. उसकी आवाज मेरा लिंग मुह में होने के कारण निकल नहीं रही थी.
इसलिए उसने जोर-जोर से मेरी जांघो पर मार कर मुझे रुकने के लिए बोला. मैंने लिंग उसके मुह से बाहर निकल लिया, और वो हांफते हुए अपनी सांसे सँभालने लगी. 30 सेकंड बाद वो बोली, “मर ही जाती और 10 सेकंड बाहर नहीं निकालते तो.”
मैंने मुस्कुरा कर पहले उसकी तरफ देखा. और फिर मेरे लिंग की तरफ जो ठुक लगने से एक दम चिकना होकर चमक रहा था. उसमे से वैभवी का थूक टपक रहा था.
फिर वो बोली, “जीजू, अब मुझे चोद भी दो न, कितना तड़पाओगे?” मैंने फिर उससे बोले, “चल, अपने जीजू के लिए नंगी हो अब.” और में अपना लिंग सहलाते हुए बेड पर बैठ गया. फिर उसने अपने बालों को समेत कर जुड़ा बनाया और अपना मंगलसूत्र उतारने लगी.
मैंने उसे रोका, “इसे मत उतारो, तुम पर जंच रहा है ये.” वो मुस्कुराई और फिर अपने दोनों हाथ पीछे ले गयी और ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसने ब्रा के स्ट्रेप एक एक कर के अपने कन्धों से हटा दिए और ब्रा को बूब्स पर दोनों हाथो से पकड़ कर मुझे ललचाने लगी.
फिर मुस्कुराते हुए उसने अपनी ब्रा पर से हाथ हटा लिए और ब्रा जमीन पर गिर पड़ी. अप उसके कबूतर कैद से आजाद थे. दोस्तों क्या मस्त नजारा था 38 साइज़ के सुन्दर, गोल, थोड़ा सा भारीपन लिए वो उसकी छाती पर हलके हलके हिल रहे थ
उस पर वो हरी हरी नसें और मंगलसूत्र, सोच कर देखो दोस्तों. मैंने उसे ऊँगली से इशारा कर अपने पास बुलाया. उसको घुमा कर उसके नितम्ब मेरी साइड किये. उसकी टाइट पेंटी को रोल करते हुए कूल्हों से निचे कर जांघों तक ले आया.
उसने कमर मटकाते हुए पेंटी को पूरी तरह अपने बदन से अलग कर दिया. पीछे से उसकी फूली हुई योनी डबलरोटी जैसे लग रही थी. ऐसा लग रहा था उसने आज सुबह ही अपने झांटों की सफाई की है. मैंने थोड़ा थूक अपनी उँगलियों पर लिया और उसकी योनी पर सहला दिया.
अब वो बेड पर पीठ के बल लेट गयी और अपनी टांगे उसने हवा में उठा ली. मैंने फिर अपनी हथेली पर ठुक लिया और लिंग के टोपे पर लगा लिया. फिर मैंने लिंग को उसकी योनी पर रखा और पूछा, “पक्का सारी मर्यादाएं पार करनी है?”
वो बोली, “अब मैं नहीं रुक सकती हूँ, जो होगा देखा जायेगा. आप तो मुझे अब रगड़ ही डालो.” ये सुन कर मैंने टोपा उसकी योने में घुसाने लगा. सही में ज्यादा उपयोग नहीं हुआ था उसकी योनी का. मेरी बीवी की योनी से तो बहुत ज्यादा टाइट थी वो.
धीरे धीरे मेरा टोपा आधा अन्दर चला गया. अब उसकी आंखे बाहर आने लगी थी. अब मैं अपनी गति बढ़ाने लगा और अन्दर बाहर करने लगा. अभी तक मेरे हाथ जो उसकी जांघों से खेल रहे थे, अब उसके बूब्स पर आ गए.
उसके बूब्स की छुअन से मेरा लिंग उसकी योनी में ही और कड़क होने लगा. वो अचरज और सुख की नजरों से मेरी आँखों में देख रही थी. अब मैंने अपनी गति और बढ़ा दी. वो मना करने लगी, “नहीं जीजू, तेज नहीं, बहुत दर्द हो रहा है, बहुत बड़ा और मोटा है आपका.”
मैंने उसकी एक न सुनी और अपनी गति बढ़ा दी. उसने अपने दोनों हाथो से चादर को भींच लिया. वो जोर जोर से आहें भरने लगी. कुछ 5 मिनट बाद मैंने आधे से पूरा लिंग अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. उसने जोर से मेरे सीने पर अपने नाख़ून गाड दिए.
मुझे कस के अपनी ओर खीचा और जोर से मुझे चिपक गयी. जैसे लग रहा हो की अपने दर्द को सुख में बदलने के लिए कोशिश कर रही हो. अब मेरा पूरा लिंग उसकी योनी में था. मैं बिना रहम किये लिंग को ज़ोरों से अन्दर बाहर कर रहा था.
कुछ देर उसी अवस्था में करने के बाद मैंने अपनी गति थोड़ी धीरे की. उसने चेन की साँस ली, लेकिन मेरे इरादे नेक नहीं थे. मैं उसकी आँखों में देख कर मुस्कुराया. उसी अवस्था में उसके दोनों हाथों को गले से होते हुए मेरी पीठ पर रखवाया.
और उसकी कमर को सहारा देते हुए उसको अपनी गोद में उठा लिया. 19 वर्ष की उम्र से ही मैं रोजाना कसरत करता आया हूँ. तो मुझे उसके 65 किलो वजन के गदराये बदन को इस तरह उठाने में कोई दिक्कत नहीं हुई.
लेकिन इस तरीके से उसको उठाने के कारण मेरा लिंग पूरी तरह जड़ तक उसकी योनी में घुस गया. वो मेरे कन्धों का सहारा लेकर ऊपर उठने लगी ताकि मेरा लिंग ज्यादा उसकी योनी में न जा सके. लेकिन उसके खुद के वजन के कारण उसकी यह कोशिश नाकाम रही.
मेरा 9 इंच का लिंग अन्दर उसकी बच्चेदानी तक पहुच गया. उसका मुह खुला रह गया और आंखे बाहर आने लगी. फिर उसने मुझे रुकने का इशारा किया. और 15-20 सेकंड बाद अपनी सांसे सँभालते हुए मुझसे हांफते हुए बोली.
“जीजू, इस पोजीशन में मेरे से नहीं होगा. आपका लौड़ा मेरी नाभि तक पहुच गया है अन्दर. थोड़ी देर और ऐसे किया तो मेरी माँ चुद जाएगी.”
मैंने शरारती मुस्कराहट के साथ जवाब दिया, “अरे तो तेरी माँ को भी चोद दूंगा, वो भी कुछ कम नहीं है तुम दोनों से, आखिर तुम दोनों गरमागरम बहनों की माँ जो है.”
वो मेरे कंधे पर थपकी देते हुए बोली, “बहुत शरारती हो आप, घर की सारी औरतों पर नजर है आपकी. अभी तो पहले मुझे निचे उतारो.”
अब मैंने उसे निचे उतार दिया और वो झट से बेड पे कुतिया बन गयी. इस पोजीशन में उसका मुह नरेश की तरफ था और उसके बड़े मटके गोल-मटोल नितम्ब मेरा स्वागत कर रहे थे. मैंने फिर मेरे लिंग के टोपे पर थूक लगाया और डॉगी स्टाइल में उसकी लेने के लिए तैयार हो गया.
मेरे टोपे को मैंने उसकी योनी पर लगाया और प्यार से उसके 42 साइज़ के नितम्ब को सहलाया. धीरे धीरे लिंग को उसकी योनी में अन्दर धकेल दिया. उसने भी लम्बी साँस के साथ मेरे लिंग का स्वागत किया. ये पोजीशन उसके लिए थोड़ी आरामदायक थी.
फिर मैंने लिंग अन्दर बाहर करने की अपनी गति बढ़ा दी. उसे भी अब मजा आने लगा. अब वो जोर जोर से आहें और सिस्कारियां भरने लगी. मैंने भी उसकी कमर को कस कर पकड़ते हुए ज़ोरदार धक्कों की बरसात शुरू कर दी.
पूरा कमरा उसकी आहों – सिस्कारियों और थप-थप की आवाज से गूंज रहा था और उसका पति खर्राटे मार कर सो रहा था.
वो बोल रही थी, “आह, जीजू, बहुत मजा आ रहा है. और जोर से डालो. प्यास बुझा दो मेरी. मैंने भी इस हरामी से बदला ले लिया अब. गुलाम बन कर रहूंगी आपके इस बड़े और मोटे लोड़े की.” उसकी ऐसी बाते सुन कर मैं और जोश में उसको पेलने लगा.
15 मिनिट तक उसकी डॉगी स्टाइल में लेने के बाद मैंने पोजीशन बदली. अब मैं बेड पर लेट गया और उसको अपने ऊपर आने को बोला. उसने एक हाथ से अपने बाल समेटे और दुसरे हाथ से मेरे लिंग के टोपे को अपनी योनी पर लगाया और धीरे – धीरे लिंग के ऊपर बैठने लगी.
पूरा लिंग अन्दर लेने के बाद वो खुद ही आगे – पीछे होने लगी. मैंने अपने दोनों हाथ उसके दोनों बूब्स पर रख कर दबाने – सहलाने लगा. हम दोनों अलग ही दुनिया में थे और सम्भोग का भरपूर मजा ले रहे थे.
थोड़ी देर बाद मैंने उसको पलता कर अपने निचे ले लिया. अब वो बोली – जीजू आज का कार्यक्रम अब समाप्ति की और ले चलो, दीदी को आने में भी अब 1 घंटा ही बचा है. फिर मैंने उसको साधारण पोजीशन में ही पेलना शुरू किया. उसने अपनी टांगो को मेरे कन्धों पे डाल लिया.
मैंने उसके बूब्स दबाते हुए गति बहुत बढ़ा दी. उसका शरीर थर थर कांपने लगा. कुछ 15 मिनिट इसी पोजीशन में करने के बाद मेरा लावा उबलने लगा. इस दौरान वो न जाने कितनी बार तेज धार के साथ झड चुकी थी.
मैंने बोला – जानेमन, मेरा आने वाला है. बोलो कहा ढोलू? तुम्हारी चुचियों पर या तुम्हारे मुह पर?
वो बोली – मेरे प्यारे जीजू, मेरे अन्दर ही झड जाओ. डाल दो अपना बीज मेरी बच्चेदानी में. आपका गरम लावा मैं अपने अन्दर ही महसूस करना चाहती हूँ.
बस फिर क्या था! मैंने लम्बे झटकों के साथ लावा बरसना शुरू किया. हर झटका मेरे वीर्य की एक लम्बी धार उसकी योनी में भर रहा था. और वो हर झटका बहुत ख़ुशी से सहन कर के संतुष्ट हो रही थी. कुछ 7 – 8 झटकों के बाद मैं उसके ऊपर पुरे वजन के साथ लेट गया.
10 मिनिट हम एक दुसरे को चुमते – सहलाते ऐसे ही पड़े रहे. फिर मैं उठा और अपने लिंग उसकी योनी से बाहर निकाला. वो भी जैसे ही बेड से खड़ी हुई, उसकी योनी से मेरा रस बाहर की तरफ बहने लगा. हमने फिर एक दुसरे को गले लगाया और 5 मिनिट तक चूमा.
अब वो बोली, “जीजू पहले आप नहा लो. मैं जब तक घर कमरा साफ करती हूँ. फिर मैं नहा लुंगी तब तक दीदी के आने का समय हो जायेगा और ये हरामी भी उठ जायेगा.” मैं उसकी बात मान कर नहाने चला गया.
फिर वो भी नहा कर नंगी ही मेरे सामने आयी और मुझसे अपनी ब्रा के हुक लगवाये. फिर हमने खाना खाया और टीवी देखने लगे. तब तक मेरे बीवी – बच्चे भी स्कूल से घर आ गए और हम दोनों ने ऐसा सामान्य बर्ताव किया जैसे की कुछ हुआ ही न हो.
मेरी बीवी ने साली से पूछा, “तू अब कल सा ज्यादा नार्मल लग रही है.” जवाब मैं वैभवी बोली, “जीजू ने बहुत कुछ समझाया और अब मैं ठीक हु. दीदी अब हम लोग को भी चलना चाहिए.”
फिर शाम को वो लोग भी अपने घर चले गए. जाने से पहले मैंने चुपके से एकांत में मेरी साली से पूछा – फिर कब मिलोगी ? वो बोली – आप तो बस बोल देना मैं हाजिर हो जाउंगी.
उसके जाने के बाद मैं आगे का प्लान सोचने लगा.
अगली कहानी में बताऊंगा कैसे मैंने उसके साथ पुरे 2 दिन दोस्त के प्राइवेट फार्म हाउस पे फुल मस्ती करी. कैसे उसकी सौतन को भी पेला, कैसे उन दोनों के साथ थ्रीसम भी क्या. दोस्तों अगर मेरी कहानी अच्छी लगी है तो मुझे इस ईमेल आई डी पर संपर्क करें <a href="/cdn-cgi/l/email.
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