जयपुर शहर की एक छोटी सी कॉलोनी के एक बहुत बड़े घर में बैठी स्नेहा अपने मालिक को याद कर रही थी। हर 5 मिनट में वह दरवाजे की ओर देखती थी। कि वह खुल जाएगा और आर्यन, उसका मालिक अंदर आएगा।
और आते ही स्नेहा को उसकी औकात का एहसास करवाएगा। ताकि स्नेहा आर्यन की एक कुतिया की तरह सेवा कर सके। उसने काफी समय से उसे आर्यन नहीं कहा था। लगभग एक साल पहले उन्होंने एक मालिक एवं गुलाम के रिश्ते को आजमाने का फैसला किया।
और तब से उसने केवल उसे सर या डैडी ही कहा है। वह इसके हर पल से प्यार करती थी। सोफे पर लंबी रातें जहां वह टीवी देखते हुए उसके साथ खेलता था। कई बार वह अपनी गोरी और मोटी गांड के छेद में बट प्लग डलवा के उसके दोस्तों से मिलती।
कभी अकेले में उसकी कुतिया बनके उसके इशारो पे नाचती थी। आर्यन की हर इच्छा पूरी करना ही उसके जीने का उद्देश्य थ
पर स्नेहा को केवल एक ही चीज़ से नफरत थी: इंतज़ार। आर्यन के लिए हवश और उसकी कुतिया बन चुदने की इच्छा ने उसे पागल कर दिया था। वह मुश्किल से ही इंतज़ार कर सकती थी| वह खुद से ही धीरे धीरे अपने कपडे उतारने लगी।
उसकी जीन्स, ब्रा और पैंटी सभी मंद कमरे में फर्श पर गिर गए। कमरा जो केवल रंगीन लाल बत्ती से जगमगा रहा था। स्नेहा अब पूर्ण नग्न थी। एक अप्सरा की तरह गोरी और अद्भुत फिगर की मालकिन वो कुतिया अब अपने मालिक के स्पर्श के लिए मरी जा रही थी।
उसके गुलाबी होठो से थूक बहार आ रहा था और आँखों से इंतज़ार के आंसू| और इसी माहौल में स्नेहा ने अपना बट प्लग ड्रावर से बाहर निकल लिया। ठीक उसी क्षण, दरवाजा खुला और आर्यन अंदर चला गय
सबसे पहले, वह अपनी नौकर को उसकी अनुमति के बिना गांड से खेलता हुआ देखकर गुस्से से भर गया । स्नेहा सोफे पर आधा झुकी हुई थी और उसका एक पैर जमीन पर। आर्यन उसकी गोरी और मोती गांड के बीच में गुलाबी छेद जहा स्नेहा धीरे से बट प्लग को अंदर धकेल रही थी।
वह सीधा देख सकता था । स्नेहा को बट प्लग अंदर लेने में एक सेकंड से भी कम समय लगा। और आर्यन को उसकी गांड के पास पहुंचने में भी बिलकुल इत्ता ही समय लगा | एक मजबूत काला हाथ, बिना किसी चेतावनी के स्नेहा की गांड में बट प्लग को बहुत ही दर्दनाक तरीके से गोल गोल घुमा रहा है।
स्नेहा सिवाय चिल्लाने के कुछ नहीं कर सकती। क्युकी वह जानती है की ये और कोई नहीं उसका मालिक आर्यन ही है| आर्यन धीरे से उसके सीधा खड़ा करता है और पूछता है।
आर्यन – तुम खुद के साथ खेलने की परमिशन किसने दी ? (उसकी आँखों में गुस्सा, स्नेहा के बदन के लिए लालच और उसे सज़ा देने की लालसा साफ दिखती है।)
स्नेहा – सॉरी सर! (पागलो की तरह हवस से भरी हुई स्नेहा। बिना किसी जवाब के खड़ी है, परन्तु अब वो डर गयी है। क्युकी आर्यन, अब सिर्फ उसके साथ खेलेगा ही नहीं उसकी इस हरकत के लिए उसे बेइंतहा दर्द भी देगा।)
आर्यन – मेने पूछा किसने इस कुतिया को खुद की गांड मारने की परमिशन दी?
इसी सवाल के साथ, स्नेहा के गाल पे एक सीधा चांटा पड़ता है। इत्ता तेज़ की आर्यन के काले मजबूत हाथो की उंगलिया उसके गालो पे छाप छोड़ देती है। पर यही चांटा उसके अनतर्मन में हवस की अलग ही लहर छोड़ देता है।
उसका दिमाग एक कुतिया के दिमाग की तरह अपने मालिक की आज्ञा को स्वीकार करने के अलावा हवा को सुनने से भी मना कर देता है। उसके गुलाबी निप्पल बिलकुल एक सिपाही की तरह अपने मास्टर के लिए टाइट हो जाते है। और उसकी चुत से मालिक की प्यास बुझाने के लिए अपने आप की सफ़ेद पानी का झरना शुरू हो जाता है|
आर्यन – लगता है सीधे तरीके से इस रंडी के मुँह से आवाज़ नहीं निकलेगी|
आर्यन ने अपनी काली जीन्स से पुरे लेदर का बना हुआ भूरा बेल्ट निकला। और स्नेहा को घोड़ी बनने का आदेश दिए। स्नेहा ने बिना एक पल गवाए तुरंत अपनी गांड उठा के घुटनो के बल घोड़ी बन। घोड़ी की तरह आवाज़ निकालने लगी।
उसे लगा की आर्यन शायद आज मार पिटाई के मूड में नहीं है। और उसे बिना समय बिताये चोदेगा, परन्तु ‘सटाक’ उसकी गांड पे बेल्ट से बहुत तेज़ स्पॅंक पड़ी। उसकी गांड पूरी लाल हो गयी। पर आर्यन आज कहा रुकने वाला था।
आर्यन – मेरी पालतू है कुतिया तू और तू सिर्फ वही कर सकती है जिसकी में तुझे आज्ञा दू, समझी या नहीं?
ये कहते ही एक और बेल्ट स्नेहा की चमचमाती हुई गांड पे पड़ा। बेल्ट पड़ते ही उसके मुँह से आवाज़ निकली।
स्नेहा – थैंक्यू मास्टर सज़ा देने के लिए। प्लीज मास्टर अपनी कुतिया को माफ़ कर दो|
दर्द से भरे इस खेल में सबसे ज्यादा मज़ा स्नेहा की गुलाबी छीली हुई चुत को ही आ रहा था। उसकी चूत से लगातार पानी बह रहा था। जैसे आज वो पूरा समुन्दर बहार निकलना चाह रही थी।
स्नेहा की गांड को देख के आर्यन का 11″ का काला लंड भी अब एक कोबरा की तरह फुंकार रहा था। उसने अपनी जीन्स घुटनो तक उतारी पर स्नेहा के बल पकड़ के बिना किसी चेतावनी के अपना लंड उसकी चुत में घुसा दिआ।
स्नेहा अब कुछ समय के लिए अचेत हो गयी। उसके मुँह से सिवाय थूक के कुछ नहीं निकला, 11″ का काला सांप उसकी गुलाबी चुत से होकर उसके पेट तक जा पहुंचा था। वैसे तो आर्यन स्नेहा को रोज एक रंडी की तरह बिना किसी दया के चोदता था। फिर भी स्नेहा इत्ता बड़ा लुण्ड लेने की आदि नहीं हो पायी थी।
कुछ देर उसका लंड अपनी चुत में रखने के बाद जैसे ही स्नेहा को होश आया। उसकी चुत से झरना बहने लगा। वो आर्यन के सिर्फ एक दर्दनाक झटके से ही झाड़ गयी थी। उसकी चुत अब दर्द दे रही थी और आर्यन उसके बाल खींच के उसको गालिया।
अब आर्यन ने उसकी गांड पकड़कर, खुद को तैनात किया और हिंसक रूप से चीखा। उसके बाद एक ठहाका और हँसी। आर्यन बोलै, “अगर तेको तेरी गांड के साथ खेलने में इतना मजा आता है, तो मेरे लिए इसका आनंद लेने का समय आ गया है|”
स्नेहा ने महसूस किया कि उसकी गांड से तेज दर्द आ रहा है। चिल्लाते हुए आर्यन ने स्नेहा की गांड से बट प्लग गिरा दिया था। और अपना लंड उसकी गांड में डालने लगा। स्नेहा को अब सीधे सोचने में परेशानी हो रही थी।
उसका शरीर उत्तेजना से काँप रहा था और उसकी चूत अब सोफे पर टपक रही थी। वह कराहती रही और मुस्कुराई। उससे दया की भीख माँगती रही, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ।
आज तक उसको दर्द में इत्ता मज़ा नहीं आया था. आर्यन मार गांड रहा था पर चुद स्नेहा का दिमाग रहा था| परम आनंद के साथ, वह चिल्लाते हुए मन ही मन अपने आप को आर्यन की कुतिया होने के लिए शाबाशी दे रही थी.
पर ये किसी चुदाई की शुरुआत नहीं थी| बल्कि एक काली और दर्दनाक रात का आगमन था. आज आर्यन स्नेहा की हर खवाहिश को पूरी करने की चाहत लेके आया था| और ये चुदाई सिर्फ उसी की शुरुआत थी|
उस रात आर्यन ने स्नेहा की १३ BDSM तरीको से मन्नते पूरी करी, जो आपके पास अगले भागो में आती रहेगी| अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी तो कृपया टेलीग्राम पे अपना प्यार पहुचाये |
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